कानपुर 1 मई आज बाल सेवी संस्था सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी द्वारा नगर में मुसीबत में फंसे बच्चों की आकस्मिक मदद के लिए संचालित चाइल्ड लाइन कानपुर व रेलवे चाइल्ड लाइन कानपुर का संचालन किया गया रहा है जिस क्रम में संस्था अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए जानकारी दी कि चाइल्ड लाइन कानपुर द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि विगत 1 वर्ष में 45 बच्चों को चाइल्ड लाइन कानपुर 1098 व रेलवे चाइल्ड लाइन के माध्यम से श्रम विभाग, पुलिस एवं प्रशासन की मदद से उनके अधिकार दिलाते हुए संरक्षण प्रदान करते हुए उनको बाल मजदूरी के चंगुल से निकालकर परिवार में पुनर्वास किया जबकि 586 से अधिक बच्चों को शोषण से बचाकर उन्हें न्याय और उनके अधिकार दिलाए।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर जारी रिपोर्ट के अनुसार संस्था अध्यक्ष कमल कांत तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि कानपुर नगर में बाल सेवी संस्था सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी द्वारा विगत वर्ष 2007 से चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से चलाई जा रही है देश क्रम में अब तक विगत 12 वर्षों में 6638 भटके हुए बच्चों को उनके घर पहुंचाया एवं 93 बच्चों को चिकित्सा सहायता 1152 बच्चों को आश्रय 4026 बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें उज्जवल भविष्य के लिए प्रेरणा प्रदान की व 108 5 बच्चों को उनके साथ हो रहे शोषण से मुक्त कराया गया तथा उन्हें बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर किया गया जिसके साथ ही विगत 12 वर्षों में 12000 से अधिक बच्चों को चाइल्ड लाइन द्वारा मदद पहुंचाई जा चुकी है। साथ ही कहा कि चाइल्डलाइन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली देश की सबसे बड़ी हेल्प लाइन है उन्होंने बताया कि यदि समाज में किसी भी व्यक्ति को कोई बच्चा भूला भटका
घायल अवस्था में या ऐसा बच्चा जो कि अपने परिवार की स्थितियों के कारण शिक्षा एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं को नहीं प्राप्त कर पा रहा है इन सभी दशाओं में उन बच्चों की मदद करने हेतु हमें चाहिए कि हम किसी भी फोन से 1098 डायल करके ऐसे बच्चों की सूचना नजदीकी चाइल्ड लाइन में दें ताकि यह स्वयंसेवक इन बच्चों की उचित मदद कर सकें इसके साथ ही चाइल्डलाइन कांड और में प्रतिदिन औसतन 5 से 6 बच्चे आते हैं जिनकी मदद की जाती है।संस्था समन्वयक प्रतीक धवन ने बताया कि मुक्त कराए गए बाल मजदूर बच्चों को बाल कल्याण न्याय पीठ के समक्ष प्रस्तुत कर आश्रय दिलाया जाता है जिसके साथ ही बाल मजदूर बच्चों का आयु का मेडिकल प्रशिक्षण करा कर उनको परिजनों से संपर्क कर उनसे शपथ पत्र लेकर कि वह बच्चे को पुनः बाल मजदूरी में लिप्त नहीं करेंगे उनके सुपुर्द किया जाता है।साथ ही बताया कि आयु प्रेस
परीक्षण में 14 वर्ष से कम उम्र होने और बालक की परिस्थितियों के अनुरूप 18 वर्ष से कम उम्र होने पर श्रम विभाग कानपुर द्वारा बाल मजदूरी में लिप्त करने वालों ने युवकों के खिलाफ बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने पर वैधानिक कार्यवाही का प्रावधान है। साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों को शोषण से बचाने के साथ ही नगर में होने वाली बच्चों की प्रति शोषण व दुर्घटनाओं के जिम्मेदार दोषियों के खिलाफ न्याय की गुहार लगाते हुए प्रशासन व मानवाधिकार आयोग सहित बाल अधिकार आयोग के माध्यम से बच्चों को न्याय व उनके अधिकारों का संरक्षण किया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर जारी रिपोर्ट के अनुसार संस्था अध्यक्ष कमल कांत तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि कानपुर नगर में बाल सेवी संस्था सुभाष चिल्ड्रन सोसायटी द्वारा विगत वर्ष 2007 से चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से चलाई जा रही है देश क्रम में अब तक विगत 12 वर्षों में 6638 भटके हुए बच्चों को उनके घर पहुंचाया एवं 93 बच्चों को चिकित्सा सहायता 1152 बच्चों को आश्रय 4026 बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें उज्जवल भविष्य के लिए प्रेरणा प्रदान की व 108 5 बच्चों को उनके साथ हो रहे शोषण से मुक्त कराया गया तथा उन्हें बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर किया गया जिसके साथ ही विगत 12 वर्षों में 12000 से अधिक बच्चों को चाइल्ड लाइन द्वारा मदद पहुंचाई जा चुकी है। साथ ही कहा कि चाइल्डलाइन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली देश की सबसे बड़ी हेल्प लाइन है उन्होंने बताया कि यदि समाज में किसी भी व्यक्ति को कोई बच्चा भूला भटका
घायल अवस्था में या ऐसा बच्चा जो कि अपने परिवार की स्थितियों के कारण शिक्षा एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं को नहीं प्राप्त कर पा रहा है इन सभी दशाओं में उन बच्चों की मदद करने हेतु हमें चाहिए कि हम किसी भी फोन से 1098 डायल करके ऐसे बच्चों की सूचना नजदीकी चाइल्ड लाइन में दें ताकि यह स्वयंसेवक इन बच्चों की उचित मदद कर सकें इसके साथ ही चाइल्डलाइन कांड और में प्रतिदिन औसतन 5 से 6 बच्चे आते हैं जिनकी मदद की जाती है।संस्था समन्वयक प्रतीक धवन ने बताया कि मुक्त कराए गए बाल मजदूर बच्चों को बाल कल्याण न्याय पीठ के समक्ष प्रस्तुत कर आश्रय दिलाया जाता है जिसके साथ ही बाल मजदूर बच्चों का आयु का मेडिकल प्रशिक्षण करा कर उनको परिजनों से संपर्क कर उनसे शपथ पत्र लेकर कि वह बच्चे को पुनः बाल मजदूरी में लिप्त नहीं करेंगे उनके सुपुर्द किया जाता है।साथ ही बताया कि आयु प्रेस
परीक्षण में 14 वर्ष से कम उम्र होने और बालक की परिस्थितियों के अनुरूप 18 वर्ष से कम उम्र होने पर श्रम विभाग कानपुर द्वारा बाल मजदूरी में लिप्त करने वालों ने युवकों के खिलाफ बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने पर वैधानिक कार्यवाही का प्रावधान है। साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों को शोषण से बचाने के साथ ही नगर में होने वाली बच्चों की प्रति शोषण व दुर्घटनाओं के जिम्मेदार दोषियों के खिलाफ न्याय की गुहार लगाते हुए प्रशासन व मानवाधिकार आयोग सहित बाल अधिकार आयोग के माध्यम से बच्चों को न्याय व उनके अधिकारों का संरक्षण किया जा रहा है।
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