वंदना शुक्ला ने महावारी को लेकर अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किए- *यह लाल रक्त कोई पाप नहीं, यह लाल रक्त कोई अभिशाप नहीं, इससे बड़ा कोई वरदान नहीं. प्राउड टू बी ए वीमेन*
स्नेह बिंदल ने लिखा- *महावारी की पीड़ा कम हो जाती है जब दुनिया हमें अशुद्ध नहीं बुलाती है. अगर हमारे जिस्म से ना बहता यह लहू तो बता ए इंसान कहां से आता इस जहां में तू. मेरे रक्त के निशान मेरी संपूर्णता की निशानी हैं, मेरे जज्बे मेरी हिम्मत पर खुदा को भी हैरानी है।*
गीता पांडे ने *महावारी के समय यदि स्कर्ट पर लाल धब्बा आ जाए तो उस पर अपने विचार व्यक्त किए कि उस पर तुरंत लोगों की नजर पड़ जाती है और लोग उसको मजाक के रूप में लेते हैं।*
स्नेह बिंदल ने लिखा- *महावारी की पीड़ा कम हो जाती है जब दुनिया हमें अशुद्ध नहीं बुलाती है. अगर हमारे जिस्म से ना बहता यह लहू तो बता ए इंसान कहां से आता इस जहां में तू. मेरे रक्त के निशान मेरी संपूर्णता की निशानी हैं, मेरे जज्बे मेरी हिम्मत पर खुदा को भी हैरानी है।*
गीता पांडे ने *महावारी के समय यदि स्कर्ट पर लाल धब्बा आ जाए तो उस पर अपने विचार व्यक्त किए कि उस पर तुरंत लोगों की नजर पड़ जाती है और लोग उसको मजाक के रूप में लेते हैं।*
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