प्यारे देश वासियों , आज में , दो तथ्यों, पर कुछ कड़वा सच लेखन के माध्यम से देश वासियों के सामने रख रहा हूं जो एक ओर धार्मिक आस्था , दूसरी ओर, शौर्य बलिदान , , दोनों का ही जीवन में अपना अपना अलग महत्व है भारत की मात्रभूमि पर बड़े बड़े वीर योद्धाओं ने जनम लिया ,उन्होंने अपने शौर्य और वीरता का लोहा पूरी दुनियां में मनवाया ,मगर सबसे बड़ा दुर्भाग्य ए रहा जो भी हमारे वीर क्रांतिकारी योद्धा हुए अपने ही देश ने उन वीरों को वो सम्मान आज तक नहीं दिया जिसके वो असली हकदार है आज हम बात करे आज़ादी के क्रांतिकारियों की जो आज से सात दशक से अधिक पूर्व समय की तो उस वक्त से लेकर आज तक देश में भारत मां के वीर सपूत , सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेता जी बॉस, राजगुरु , सुखदेव,मंगल पांडे, सरदार ऊधम सिंह, प रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठा रोशन सिंह सरदार करतार सिंह सराभा आदि को शहीद का दर्जा और भारत रत्न देने व इनके नाम पर संस्थानों आदि के नाम आदि की मांग कुछ समाजसेवी एवम् देश भक्त लोगों द्वारा या शहीदों के वंशजों द्वारा उठती आ रही है , मगर आज़ाद भारत की किसी सरकार ने उन्हें शहीद नहीं माना , पूर्व में जो संस्थानों के नाम क्रांतिकारी वीरों के नाम पर रख दिए गए वहीं हैं ,विगत 6 वर्सो से क्रांतिकारी संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन द्वारा निरंतर आज भी मांगें वर्तमान सरकार से करता आ रहा है वर्तमान सरकार से संगठन ने बड़ी उम्मीद रखी थी, वह उम्मीद उस वक्त धराशाही नजर आई हाल ही में धार्मिक आस्थाओं के जननायक एवम् उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मा स्वर्गवासी श्री कल्याण सिंह जी , का देहांत होने के बाद उसी दिन उत्तर प्रदेश के बहुमुखी प्रतिभा शाली सभी को एक न्याय की दृष्ट से देखने वाले , राष्ट्रभक्त ,धार्मिक आस्था की कश्ती पर सवार ,माननीय योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक ही दिन में पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर 8 सड़कों के नाम व जिला बुलंदशहर के दो शिक्षक संस्थानों के नाम रख दिए गए और एक ही दिन में प्रशासन ने सारा कागजी कार्य भी पूरा कर लिया, और सरकार आगे भी करने की सोच रही , हम सरकार के इस पुनीत कार्य का स्वागत करते है। और करते रहेंगे
सवाल इस बात का है कि देश व प्रदेश की राष्ट्रभक्त सरकार , देश भक्ति की आजादी में अपना सर्वोच्च बलिदान देन वालों को शहीद का दर्जा और भारत रत्न नहीं देगी तो फिर देश की कौनसी सरकार शहीदों को सम्मान देगी , देश भक्त क्रांतिकारियों के नाम पर चल रही 6 वर्षों निम्न मांगें ,उत्तर प्रदेश जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ,सरदार ऊधम सिंह के नाम पर , प्रयागराज बमरौली एयर पोर्ट ,चंद्रशेखर आजाद , कानपुर चकेरी एयर पोर्ट , श्री गणेश शंकर विद्यार्थी , दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा , श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी के नाम पर , और सरदार भगत सिंह , अशफाक उल्ला खां, मंगल पांडे, ठाकुर रोशन सिंह, रानी लक्ष्मी बाई ,आदि इनके नाम से , कानपुर , अलीगढ़ , के बड़े बड़े चौराहों की मांगें 6 वर्षों से नगर निगम में किसी कागज के दस्ट वीन में बंद पड़ी हैं कोई उनको देखने वाला नहीं ना सरकार न प्रशासन , यह समान शहीदों का राष्ट्रभक्त सरकार के राज्य में देखने को मिल रहा है , जो हमने इसकी कभी कल्पना नहीं की थी सोचा था राष्ट्रभक्त की बात करने वालों का राज होगा तो , शहीदों की किस्मत जागेगी और उनको शहीद का दर्जा और भारत रत्न जैसी सभी मांगें यूं ही सहज कर दी जाएंगी , अगर वास्तव में सरकार राष्ट्रभक्त वाले कदम पर चल रही है तो संगठन द्वारा उठाई गई सभी राष्ट्रभक्त मांगों को पूरा करे अब इनकी राष्ट्रभक्त पर लोगों को शक होने लगा है संगठन का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं , ना विरोध करना
फिर वतन पर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारत मां के अमर वीर सपूतों के साथ ए भेद भाव क्यों , शहीदों के नाम पर जिले में एक छोटी सी मांग अगर की जाती है तो छै वर्ष गुजर जाते है , मांग पत्र एक कागज का टुकड़ा बना सरकारी कार्यालय में इर्द गिर्द घूमता रहता है कभी इस टेबिल पर कभी उस टेबिल पर अगर यही मांग देश के किसी बड़े नेता के नाम पर उठाई जाए तो सारी नेता बिरादरी एक मत में होकर उस मांग का प्रस्ताव पारित कर देती है और उसे इतना महान बना देती है कि आने वाली पीढ़ी उसे इक्कीस तोपों की सलामी दें जिन्होंने देश की खातिर तोपों की परवाह न की और सीने पर गोलियां खाई, ,फांसी के फंदे को चूमां , और देश ने आज बदले में क्या दिया , गुमनाम, जिंदगी, आज देश में क्रांतिकारियों को भुलाने में पूरी तरह सरकारों को दोषी नहीं ठहरा सकते इसमें बराबर के भागीदार हम देश वासी भी हैं जो नेताबाद , धर्मवाद जाति बाद जैसी परंपराओं में उलझ कर अपने भारत मां के सच्चे वीर सपूतों को भूल गए , परमात्मा ने भूल की जो भारत की माटी पर ऐसे वीरों को जन्म दिया , ,सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेता जी बॉस, अशफाक उल्ला खां और सरदार उधम सिंह, काश ए किसी विदेशी माटी पर जन्मे होते तो वहां के लोगों के दिलों में आस्था के प्रतीक की तरह पूजे जा रहे होते , और वहां की सरकारें ऐसे वीरों के बलिदान दिवस और जयंतियां राष्ट्रपर्व की भांति मना रही होती देश वासियों जागो ,और क्रांतिकारियों के लिए इन्कलाब की आवाज बुलंद करो, जाने दो सरकारों के हिस्से में , नेहरू , और गांधी की जातियां ,आप और हम मिलकर अपने बच्चों को सुनाएंगे, वतन पर मिटने वालों की ए कहानियां ,इन्कलाब जिंदाबाद अपने विचार , सबके साथ , जय हिन्द बी एस बेदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष , क्रांतिकारी संगठन आप और हम
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