रंगों से सीखा है मैंने टूट कर बिखरना
फिर बिखर के निखरना..
तितलियों के कच्चे रंग को छुपा लेती हूँ
बेरंग से जीवन में रंग भरने के लिए
जुगनू की चमक को शीशी मे कैद कर लेती हूँ
अंधेरा भगाने के लिए
टिमटिमाते तारों से बात करती हूँ
तन्हाई मिटाने के लिए
चाँद को रात भर निहारती हूँ
अपना ग़म बाँटने के लिए
बारिश को साझेदार बनाती हूँ
आँखों की नमी छिपाने के लिए
रंगों से सीखा है टूट कर बिखरना
बिखर कर निखरना
आंढ़ी टेड़ी रेखाएं खींच देती हूँ
मन बहलाने के लिए
कलम से अल्फाज़ लिखती हूँ
सवालों के ज़वाब पाने के लिए..
कैनवास पर रंग बिखेर देती हूँ
ज़िन्दगी सजाने के लिए
रंगों से सीखा है टूट कर बिखरना
बिखरकर निखरना!!
पूनम भास्कर "पाखी"
डिप्टी कलेक्टर यूपी।।
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