इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. ब्रजपाल सिंह पोनियां जी, विशिष्ट अतिथि डा. चेतन बिहारी सक्सेना जी व योगेश श्रीवास्तव जी द्वारा संयुक्त रूप से मां सरस्वती जी की तस्वीर व वाणी पुत्र राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त जी की तस्वीर पर माल्यार्पण व उनके समक्ष दीप–प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम विशिष्ट अतिथि डा. चेतन बिहारी सक्सेना ने कहा कि,"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं।उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी औ इसी कारण से महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी उन्हें दी थी
।उनकी जयन्ती 3अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाई जाती है। सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था ।"इस अवसर पर अभाविप नगर अध्यक्ष रवि सक्सेना ने कहा कि," विद्यार्थी परिषद क्रांतिकारियों, महापुरुषों, महाकवियों, साहित्यकारों की जयंती और पुण्यथिति के कार्यक्रम आयोजित करके उन्हें स्मरण करती रहती है । राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने भारत भारती में देश की वर्तमान दुर्दशा पर क्षोभ प्रकट करते हुए देश के अतीत का अत्यंत गौरव और श्रद्धा के साथ गुणगान किया है। भारत श्रेष्ठ था, है और सदैव रहेगा
।वो लिखते हैं –भूलोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला-स्थल कहाँ? फैला मनोहर गिरि हिमालय और गंगाजल कहाँ? संपूर्ण देशों से अधिक किस देश का उत्कर्ष है? उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है।"इस अवसर पर आयोजित कव्यमय कार्यक्रम में स्कॉलर्स ब्रिटिश डायरेक्टर कुनाल वर्मा जी, दिव्यांशी जैन जी, योगेश श्रीवास्तव जी आदि की उपस्थिति प्रमुख रही ।
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