Saturday, July 25, 2020

भ्र्ष्ट उल्हासनगर महानगरपालिका स्टेनो बना सहायक आयुक्त!

मुंबई(नीतिका राव)
जिस अधिकारी को श्मशान भूमि में काम देना चाहिए उसे शासन के आदेश,नियम की अवहेलना कर सहायक आयुक्त बना दिया गया। एक मामूली  स्टेनोग्राफर जिसे  एंटीकरप्शन की ईमानदार बहादुर अधिकारी श्रीमती वैद्य  के हस्ते 25000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकङा गया था नियम अनुसार इस भ्रष्टाचारी को कोई भी ऐसी जगह काम नहीं देना था जहां वो जनता के संम्पर्क में रहे लेकिन

उल्हासनगर महानगरपालिका में जितना बङा भ्रष्टाचारी उतनी बङी पोस्ट ऐसी भ्र्ष्ट कार्यप्रणाली कार्यरत है। कई समाज सेवक इस भ्रष्टाचारी को उसकी असली जगह पहुंचाने लङ रहे हैं लेकिन यहां जो भी आयुक्त आता है वो अपनी कीमत पहले तय कर लेता है। इस भ्रष्टाचारी को सहाय्यक आयुक्त की पोस्ट से हटाकर इस पर

कार्यवाही किए जाने हेतु शासन से कई पत्र आए हैं। उस पर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। यह पत्र कार्पोरेशन आयुक्त से छिपाए जाते हैं या आयुक्त अपना कमिशन पहले ही वसूल लेते हैं ।

 आख़िर  किस नगर सेवक, या किसी नेता की छत्र छाया है इस भ्रष्टाचारी पर?,क्यों नहीं  आयुक्त  कार्यवाही करने के आदेश दे रहे हैं? इन सब सवालों के जवाब अब तक नहीं प्राप्त हुए हैं।

भ्रष्टाचारी गणेश अरविंद शिंम्पी के पास इतने पैसे कहां से आए इसका वेतन औऱ अय्याशी के कारनामों को देखकर  इसकी रिश्वतखोरी का अंदाजा लगाया जा सकता है। भ्रष्टाचारी शिंपी के पास 4050 नंबर की इनोव्हा, क्रेटा, जैसी 4/5 गाडियां हैं।

2013/से अभी तक सीर्फ गाड़ी खरीदने इतने पैसे कहाँ से आए इसकी खोज अभी जारी है।लॉकडाउन में शासन नियम को ताक पर रखकर अतिक्रमण विभाग के पदभार का दुरूपयोग कर इस भ्रष्टाचारी ने बिना अनुमति  बांधकामां को बङावा दिया है । लॉकडाउन के समय में जहां सरकारी कर्मचारियों के वेतन की कटौती की जा रही है ऐसे में नई गाड़ी  खरीदने इसके पास लाखों रूपए कहाँ से आए? यह भी जांच का विषय है।

2 comments:

  1. CBI की पुच्छताछ करणी चाहीये

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  2. कब सरकार भ्रष्टाचार के प्रति शख्त होगी।

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