जिस देश की आजादी मात्रभूमि के लिए छोटी सी उम्र में देश के नाम कर ,अंग्रेजी बेड़ियों से मुक्त कर गए आज देश वासी और सरकारों ने क्रांतिकारी वीरों को गुमनाम कर दिया किसी शायर ने खूब लिखा था । कि ,
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा , ए पंकिती शहीदों के बलिदानों से रू बरू करातीं थी , सो आज किताबो और अखबारों में छपने तक सिमट कर रह गई है जुलाई के महीने की अंतिम तारीख तक देश को दो बड़े जाने माने भारत की आजादी के योद्धा वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी की जयंती और भारत का जाबाज बब्बर शेर सिंघ उर्फ सरदार ऊधम सिंघ जी का बलिदान दिवस निकल गया अफसोस कहीं किसी अखबार में देश के किसी बड़े नेता से लेकर जिले के जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों को कहीं नहीं देखा गया की अपने कार्यालों पर या किसी छोटे से स्तर पर शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी हो प्रशासनिक अधिकारियों की तो बात दूर रही जो देश के मुखिया और राज्यों के जो मुखिया बने बैठे है उनके मुखार बिंदु से जयंती और बलिदान दिवस पर कहीं दो शब्द नहीं सुने गए चंद सामाजिक संगठन और देश भक्त सेवकों द्वारा क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते देखा गया 31 जुलाई को सरदार ऊधम सिंघ जी का बलिदान दिवस पर कहीं कोई अखबार में शहीद का आर्टिकल किसी अखबार में नहीं छपा और 1 अगस्त गांधी के 1920 के असहयोग आन्दोलन का आर्टिकल गांधी जी की फोटो के साथ लगता जो चोरा चोरी कांड के कारण 1923 में असहयोग आन्दोलन को बापू ने स्थगित करके , क्रांतिकारियों को चोट पहुंचाई, जिस आंदोलन को गति क्रांतिकारियों ने दी आज उन्ही के साथ उदासीनता सरकारों और स्वार्थी लोगों की इसे भेद भाव नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे जो ऊधम सिंघ जी के बलिदान दिवस के अगले ही दिन अंग्रेजों के चापलूसों की फोटो असहयोग आन्दोलन के साथ छपती है , जिस योद्धा ने देश के हजारों बेगुनाह भारतीयों की मौत का बदला इक्कीस वर्ष बाद भारत से जा कर हत्यारे की सर जमी लंदन में घुस कर मौत के घाट उतारा और आज उस वीर योद्धा के बलिदान दिवस पर देश का कोई बड़ा नेता श्रद्धांजलि का संदेश देश को ना दे और ना ही उसका आर्टिकल किसी अखबार में ना लगे ये सबसे बड़ा शर्मसार का विषय है , क्या अंग्रेजो की मानसिकता आज भी देश के नेताओ के अंदर पनप रही है जो उसी सियासत के आधार पर चल रहे है उस वक्त भी क्रांतिकारियों कोई सम्मान नहीं दिया जाता था और आज उनके बलिदान दिए जाने के बाद भी देश में सलूक किया जा रहा है
आज इनको जाति मजहब के आधार पर देखा जाता है , देश को आजादी मजहब धर्म देख कर नहीं मिली एकता भाई चारा के साथ मिली है जो जीता जागता क्रांतिकारी मिसाइल है उन वीरों की एकता में इतना प्यार झलकता था कि एक दूसरे पर जान लुटा ते थे , आज उन्हीं के देश में वीरों को बिखेर दिया और शहीद का दर्जा तक नहीं दिया जा रहा
धीरे धीरे स्कूलों की किताबों से गायब होते जा रहे है , साथियों सियासत के गलियारों से बाहर निकल कर आयो , और उन वीरों की शहादत को न भुलाओ जो देश और हम सब के लिए गुलामी की जंजीरों से आजाद कर गए , उनके सम्मान में जाति मजहबी से हटकर एक होकर आवाज दो हम एक है , यही आपकी एकता रंग लाएगी और क्रांतिकारियों के इतिहास को फिर से दोहराएगी, ,जय हिन्द,
क्रान्तिकारियों के सम्मान में निरंतर 5 वर्षों से अधिक देश में इनको शहीद का दर्जा और भारत रत्न से सम्मानित की आव भारत सरकार से उठती आ रही है , और चंद्रशाखर आजाद जी के नाम पर , उत्तर प्रदेश के प्रायगराज के बावतवपुर बमरौली हवाई अड्डे और कानपुर चकेरी हवाई अड्डे का नाम रखने की मांग और उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित जेवर अंतरराष्ट्रीय एयपोर्ट का नाम सरदार ऊधम सिंघ जी के नाम पर और अलीगढ़ धनीपुर हवाई पट्टी का नाम अशफाक उल्ला खां के नाम पर इसी तरह अन्य क्रांतिकारियों के नाम पर महानगरों के चौराहों की आदि मांगें विगत कई वर्षों से संगठन करता अा रहा है। आप सभी के समर्थन के सहयोग की जरूरत है
इन्कलाब जिंदाबाद क्रांतिकारी अमर रहें
बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष , क्रांतिकारी संगठन , आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा , ए पंकिती शहीदों के बलिदानों से रू बरू करातीं थी , सो आज किताबो और अखबारों में छपने तक सिमट कर रह गई है जुलाई के महीने की अंतिम तारीख तक देश को दो बड़े जाने माने भारत की आजादी के योद्धा वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी की जयंती और भारत का जाबाज बब्बर शेर सिंघ उर्फ सरदार ऊधम सिंघ जी का बलिदान दिवस निकल गया अफसोस कहीं किसी अखबार में देश के किसी बड़े नेता से लेकर जिले के जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों को कहीं नहीं देखा गया की अपने कार्यालों पर या किसी छोटे से स्तर पर शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी हो प्रशासनिक अधिकारियों की तो बात दूर रही जो देश के मुखिया और राज्यों के जो मुखिया बने बैठे है उनके मुखार बिंदु से जयंती और बलिदान दिवस पर कहीं दो शब्द नहीं सुने गए चंद सामाजिक संगठन और देश भक्त सेवकों द्वारा क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते देखा गया 31 जुलाई को सरदार ऊधम सिंघ जी का बलिदान दिवस पर कहीं कोई अखबार में शहीद का आर्टिकल किसी अखबार में नहीं छपा और 1 अगस्त गांधी के 1920 के असहयोग आन्दोलन का आर्टिकल गांधी जी की फोटो के साथ लगता जो चोरा चोरी कांड के कारण 1923 में असहयोग आन्दोलन को बापू ने स्थगित करके , क्रांतिकारियों को चोट पहुंचाई, जिस आंदोलन को गति क्रांतिकारियों ने दी आज उन्ही के साथ उदासीनता सरकारों और स्वार्थी लोगों की इसे भेद भाव नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे जो ऊधम सिंघ जी के बलिदान दिवस के अगले ही दिन अंग्रेजों के चापलूसों की फोटो असहयोग आन्दोलन के साथ छपती है , जिस योद्धा ने देश के हजारों बेगुनाह भारतीयों की मौत का बदला इक्कीस वर्ष बाद भारत से जा कर हत्यारे की सर जमी लंदन में घुस कर मौत के घाट उतारा और आज उस वीर योद्धा के बलिदान दिवस पर देश का कोई बड़ा नेता श्रद्धांजलि का संदेश देश को ना दे और ना ही उसका आर्टिकल किसी अखबार में ना लगे ये सबसे बड़ा शर्मसार का विषय है , क्या अंग्रेजो की मानसिकता आज भी देश के नेताओ के अंदर पनप रही है जो उसी सियासत के आधार पर चल रहे है उस वक्त भी क्रांतिकारियों कोई सम्मान नहीं दिया जाता था और आज उनके बलिदान दिए जाने के बाद भी देश में सलूक किया जा रहा है
आज इनको जाति मजहब के आधार पर देखा जाता है , देश को आजादी मजहब धर्म देख कर नहीं मिली एकता भाई चारा के साथ मिली है जो जीता जागता क्रांतिकारी मिसाइल है उन वीरों की एकता में इतना प्यार झलकता था कि एक दूसरे पर जान लुटा ते थे , आज उन्हीं के देश में वीरों को बिखेर दिया और शहीद का दर्जा तक नहीं दिया जा रहा
धीरे धीरे स्कूलों की किताबों से गायब होते जा रहे है , साथियों सियासत के गलियारों से बाहर निकल कर आयो , और उन वीरों की शहादत को न भुलाओ जो देश और हम सब के लिए गुलामी की जंजीरों से आजाद कर गए , उनके सम्मान में जाति मजहबी से हटकर एक होकर आवाज दो हम एक है , यही आपकी एकता रंग लाएगी और क्रांतिकारियों के इतिहास को फिर से दोहराएगी, ,जय हिन्द,
क्रान्तिकारियों के सम्मान में निरंतर 5 वर्षों से अधिक देश में इनको शहीद का दर्जा और भारत रत्न से सम्मानित की आव भारत सरकार से उठती आ रही है , और चंद्रशाखर आजाद जी के नाम पर , उत्तर प्रदेश के प्रायगराज के बावतवपुर बमरौली हवाई अड्डे और कानपुर चकेरी हवाई अड्डे का नाम रखने की मांग और उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित जेवर अंतरराष्ट्रीय एयपोर्ट का नाम सरदार ऊधम सिंघ जी के नाम पर और अलीगढ़ धनीपुर हवाई पट्टी का नाम अशफाक उल्ला खां के नाम पर इसी तरह अन्य क्रांतिकारियों के नाम पर महानगरों के चौराहों की आदि मांगें विगत कई वर्षों से संगठन करता अा रहा है। आप सभी के समर्थन के सहयोग की जरूरत है
इन्कलाब जिंदाबाद क्रांतिकारी अमर रहें
बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष , क्रांतिकारी संगठन , आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
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