उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर का परेड चौराहा ,जो कभी गुलामी के समय अंग्रेजों का परेड कराने का स्थान हुआ करता था इसलिए इस जगह का नाम परेड चौराहा पड़ गया , ऐसा विद्वानों का कहना है इन गुलामी पहचानो को मिटाने और अपने क्रांतिकारियों को सम्मान दिलाने का बीड़ा , क्रांतिकारी संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन के बैनर तले , संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी एस बेदी ने उठाया और शुरुआत की सन 2016 में कानपुर नगर के महापौर को ज्ञापन देकर परेड का नाम के स्थान पर क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह जी के नाम पर रखने की मांग की और दर्जनों हस्ताक्षर अभियान शहीद क्रांतिकारी के नाम पर नगर में चलाए और कई बार ज्ञापन दिए उसके उपरांत सन 2018 में चुनावी समय था अचानक नया मोड़ आया अखबार के माध्यम से पता चला कि सरदार भगत सिंह के नाम पर प्रस्ताव पारित हो गया , संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्त संगठन के स्थान पर , कानपुर महापौर और नगर निगम अधिकारियों की मिली साजिश के तहत संगठन का नाम न देकर बसपा के पूर्व अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष सिख नेता के संस्था का नाम और उसकी फोटो महापौर के साथ अखबारों में प्रकाशित हुई , जबकि दूर-दूर तक इन स्वार्थी नेताओं का इस मांग से कोई लेना-देना नहीं था अखबारों के माध्यम से झूठी प्रस्ताव की जानकारी श्री बेदी को मिली , तो आश्चर्यचकित रह गए , अब लड़ाई उनकी क्रांतिकारियों के सम्मान के साथ साथ सच्चाई की जीत और झूठ के काले चेहरों को बेनकाब करने की हो गई , स्वार्थ की पहचान और वावाही लूटने वाले जयचंद शांत बैठ गए , मगर मेहनत करने वाले को कहां नींद आएगी , श्री बेदी चेन से नहीं बैठे नगर निगम के अधिकारियों की नींद उड़ा डाली , दिल्ली से कानपुर नगर निगम के अधिकारियों से सरदार भगत सिंह के नाम की प्रस्तावित कॉपी मागी , और कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र लिखें मगर प्रस्ताव कॉपी देने के नाम पर अधिकारी टालते रहे और अपनी काली करतूतों को छिपाने का आंख मिचोली का खेल 2 वर्ष तक चलता रहा , लेकिन श्री बी एस बेदी ने हार नहीं मानी , और अंत में आरटीआई लगाई कई बार उसका जवाब देने मैं नगर निगम के अधिकारी और महापौर सच्चाई बताने से बचते रहे और श्री बेदी नगर निगम अधिकारियों के गले की फांस बनते गए , कुछ दिनों बाद बी एस बेदी अपने पदाधिकारियों के साथ कानपुर नगर निगम के जनसूचना अधिकारी रॉली गुप्ता से मिलने पहुंचे। , अधिकारी के न मिलने से निगम के कर्मचारी व पदाधिकारियों के बीच में कहा सुनी और हंगामा हुआ उसके बाद रोली गुप्ता से श्री बेदी की मुलाकात हुई , सारे मामले की जानकारी व अर टी आई पत्र अधिकारी को दिखाए उसके बाद रोली गुप्ता ने निर्देश दिया नगर निगम सचिव को उसके बाद प्रस्तावित कॉपी श्री बेदी को उपलब्ध कराई तो सच्चाई सामने आई कि प्रस्ताव आज तक सरदार भगत सिंह जी के नाम पर पारित नहीं हुआ , बिना पारित के मीडिया में प्रकाशित करके शो कर दिया गया दो बोर्ड परेड चौराह पर सरदार भगत सिंह चौक के नाम के लगा दिए ,और महापौर , नगर आयुक्त, और पूर्व बसपा सिख नेता के साथ मिलकर शिलान्यास कर दिया गया , मगर सरकारी दस्तावेजों / अखबारों आदि में आज भी परेड लिखा होता है कभी सोचा नहीं होगा , आज के राजनीत जयचंद इतने नीचे गिर जाएंगे झूठी शान शौकत के लिए अपनी जनता के साथ साथ अपने भारत मां के वीर सपूतों के नाम पर धोखा देंगे , और ओछी राजनीति करेंगे , श्री बेदी के कथक प्रयास ने सच को सामने लाकर काले चेहरों को बेनकाब किया , अब देखना ये है , कि कानपुर नगर निगम का जमीर कब जागेगा , और गुलाम परेड चौराह के नाम पर आजाद भारत में कानपुर नगर में सरदार भगत सिंह चौक कह लाएगा ,